पुणे से श्री दतोपंत ठेंगड़ी के देहावसान का समाचार सुनकर अवसन्न हो गया। पिछले छह दशकों से संघ के गगनांचल में चमकने वाला देदीप्यमान नक्षत्र आज तिरोहित हो गया। यौवन में ही राष्ट्रदेव के चरणों में चढ़ा हुआ सुगंधित पुष्प अब निर्माल्य बन गया। दत्तोपंत जी ने संघ के प्रचारक जीवन को श्रेष्ठ आदर्श तो प्रस्तुत किया ही, अपने प्रगाढ़ अध्ययन एवं तल-स्पर्शी चिंतन के द्वारा समाज जीवन के अनेक क्षेत्रों को न केवल समृद्ध बनाया बल्कि अपने अप्रतिम संगठन कौशल्य से भारतीय मजदूर संघ, विद्यार्थी परिषद, भारतीय किसान संघ, समाजिक समरसता मंच, स्वदेशी जागरण मंच, सर्वपंथ समादर मंच, पर्यावरण मंच आदि अनेक संगठनों को हिन्दुत्व के आधार पर प्रखर वैचारिक अधिष्ठान प्रदान किया, उन सब सगठनों को शीर्ष स्थान पर पहुंचाया। राज्यसभा के सदस्य के नाते कम्यूनिस्ट समेत अनेक विचारधाराओं के शीर्ष नेताओं से उन्होंने आत्मीयतापूर्ण संबंध स्थापित किए जिसके कारण मार्क्सवादियों से संघर्ष के समय मध्यस्थ की भूमिका निभाने में यशस्वी हुए। भण्डारा से जब माननीय बाबासाहेब अम्बेडकर लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे तब उनके चुनाव अभिकर्ता के नाते उन्होंने कार्यभार संभाला था। मेरे सतत् आग्रह पर उन्होंने अपने अंतिम दिनों में डॉ० बाबासाहेब अम्बेडकर पर पुस्तक लिखी। विभिन्न विषयों पर लिखी अनेक पुस्तक-पुस्तिकाओं के पश्चात यह उनकी अन्तिम पुस्तक होगी, जो बाबासाहेब के अंतरंग की एक अनोखी झांकी प्रस्तुत करेगी। अनेक देशों का भ्रमण कर उन देशों के जीवन का सूक्ष्म निरीक्षण, अनेक अन्तरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलनों में भारत का प्रभावी प्रतिनिधित्व तथा हिन्दुत्व के सर्वसमावेशक चिंतन के परिप्रेक्ष्य में भारत व विश्व की समस्याओं का निदान एवं समाधान प्रस्तुत कर इस सर्वमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति ने अपनी जीवन लीला संवरण की। उनकी स्मृति को मेरी शोकसंतप्त विनम्र श्रद्धांजली।
परम पूजनीय के० एस० सुदर्शन जी